सावन, हिंदी पंचांग के आठवें मास को कहा जाता है और यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास के समय आता है। यह मान्यता है कि सावन के महीने में बरसाती बादलों की वजह से पृथ्वी धरती पर नवीनतम जीवन उत्पन्न होता है। इस मास में मनुष्यों के जीवन में खुशहाली और प्रकृति की विशेष संरक्षा के लिए देवी जननी दुर्गा की पूजा आदिवासी जातियों में प्राचलित है।
सावन के महीने में अधिकांश लोग शिव भगवान की पूजा करते हैं और उनके मंदिरों में जाकर गंगाजल लेते हैं। यह मान्यता है कि सावन के महीने में गंगाजल पीने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख और समृद्धि आती है। सावन के पहले सोमवार को श्रावण सोमवार कहा जाता है और इस दिन भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं। इसके अलावा, सावन में कई लोग अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए व्रत रखते हैं और ब्रह्मचर्य पालन करते हैं।
सावन के महीने में बारिश के कारण प्रकृति अपनी पूरी खुशहाली और हरितता के साथ चमकती है। पेड़-पौधों का विकास होता है और फूलों की महक सबको आनंदित करती है। इस मौसम में लोग बगीचों में घूमने और उत्सवों में भाग लेने का आनंद लेते हैं। सावन के बाद मोनसून का आगमन होता है, जिससे बारिश और हरियाली अधिक बढ़ जाती है।
यहां तक कि सावन के महीने में लोग शादियों और मेलों का आयोजन करते हैं। कई जगहों पर सावन के महीने में तीर्थयात्रा भी आयोजित की जाती है, जहां लोग माता जी की पूजा करते हैं और धार्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं।
सावन के महीने में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं जो लोगों को सामरिक, आत्मिक और बौद्धिक रूप से संपन्न करते हैं। यह मान्यता है कि सावन मास में भक्ति और ध्यान करने से मनुष्य अपने जीवन में संतुष्टि, शांति और आनंद प्राप्त करता है।
सावन का महीना हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है और इसके दौरान लोग अपने मान्यताओं और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का महीना होता है जहां लोग भक्ति और आध्यात्मिकता के प्रतीक रूप में भगवान शिव की पूजा करते हैं। सावन के महीने में जीवन में उमंग, प्रेम, आनंद और ध्यान की अवधारणा बढ़ती है और लोग अपने आस-पास की प्रकृति का आनंद लेते हैं।