डिजिटल न्यूज़ डेस्क/लखनऊ। बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के चलते शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों की बिजली आपूर्ति लड़खड़ा गई है। बिजली आपूर्ति ठप होने से उपभोक्ता परेशान हैं। हड़ताल पर रहने वाले बिजली कर्मचारी अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर धरना दे रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी, तब तक उनका आंदाेलन जारी रहेगा। प्रशासन जबरिया उनके आंदोलन को बंद कराना चाहता है, लेकिन ऐसा होने नहीं दिया जाएगा।
72 गघण्टे के लिए बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के बाद इसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है. बिजली से चलने वाले सभी यन्त्र बंद पड़े हैं, हड़ताल का सबसे ज्यादा असर दुकानोंदारों और व्यापारियों पर पड़ रहा है. प्रदेश के अधिकतर जिलों में बिजली गुल है।
वहीं बिजली बहाल का झूठी दावा करने वाले अधिकारियों की पोल भी खुलने लगी है. आपको बतातें चलें कि बिजली कर्मचारियों के 72 घण्टे के लिए हड़ताल पर चले जाने के बाद से जिला प्रशासन के हाथों में बिजली बहाल कार्य है. बिजली पॉवर हॉउस पर लेखपाल,एसडीएम,सीईओ जैसे अधिकारियों की तैनाती की गई है. लेकिन क्या ये अधिकारी बिजली बहाल कर पायेंगे? वर्ष में कई बार बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद सरकार के प्रति लोगों में नाराज़गी देखने को मिल रही है।
बिजली कर्मचारियों के हड़ताल का असर चुनाव में पड़ सकता है
लोकसभा 2024 का चुनाव भी अब नजदीक आने लगा है कुछ ही महीनों में गलियों में नेता कौंव- कौंव करने लगेंगे. बिजली की समस्या हमेशा चुनावी मुद्दा रही है. अगर इसी तरह जानता परेशान होती रही तो इसका असर भी लोकसभा चुनाव में पड़ सकता है. क्योंकि की अब जनता जागरूक हो गई है. अब जनता हाथी के दाँत की पहचान कर लेगी. कौन सी पार्टी उसके लिए क्या करती है उसका हिसाब रखने लगी है. किसी भी पार्टी का चुनाव जीतने के लिए सबसे बड़ा मुद्दा होता है मकान,सड़क,शिक्षा,पानी और बिजली। और जब जनता को इनकी कमी होती है तो सरकारें बदल जातीं हैं।
ऊर्जा मंत्री के बोल- हड़ताली कर्मचारियों पर लगेगा रासुका
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि बिजली हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा के तहत कार्यवाही की जाएगी. हड़ताल पर जाने वाले कमर्चारियों पर रासुका लगेगा।
अब देखना ये है कि उत्तर प्रदेश के सभी बिजली कर्मचारी हड़ताल पर हैं इनमे से कितनो पर रासुका लगेगा कितने जेल जायेंगे?
23 साल बाद हो रही ऐसी पूर्ण हड़ताल
तकरीबन 23 साल बाद बिजली कर्मचारियों की पूर्ण हड़ताल हो रही है। हड़ताल में अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, टेक्निशन, ऑपरेटिंग स्टाफ, लिपिक और अनुबंधित कर्मचारी शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि बिजली कंपनियों के चेयरमैन और एमडी के चयन के संबंध में हुए समझौते पर अमल न होना ही हड़ताल की बड़ी वजह है।
कार्यबहिष्कार से दिक्कत
गुरुवार को कर्मचारी हड़ताल के समर्थन में हो रही सभाओं में शामिल रहे। इससे लोगों को दिक्कत झेलनी पड़ी। इसके और बढ़ने की आशंका है। जिलों में चल रहे मरम्मत के काम पर भी असर दिखा। कानपुर और उन्नाव सरीखे जिलों में बारिश की वजह से भी फॉल्ट आईं, जिन्हें काफी समय तक ठीक नहीं किया जा सका। जिलों में डीएम ने बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करवाने के लिए समीक्षाएं शुरू कर दी हैं।