दहेज के खिलाफ लड़ाई में आगे आया आगरा का मुस्लिम समाज, आयशा की मौत से सबक लेने की कही गई बात

आर पी पी न्यूज़ –दुआ के बाद मस्जिद में कहा गया कि इस्लाम में दहेज लेने की मनाही। यह प्रथा कितनी खतरनाक है इसका सबक आयशा की मौत से लिया जा सकता है।

मुस्लिम समाज ने आगरा में बांटे पर्चे।

अहमदाबाद की रहने वाली आयशा के आत्महत्या के बाद आगरा के मुस्लिम समाज ने दहेज के खिलाफ जंग छेड़ दी है। एकजुटता दिखाते हुए दहेज न लेने और देने की बात कही गई है। आगरा के मंटोला स्थित कैंथ वाली मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद आयशा की आत्मा की शांति के लिए दुआ मांगी गई। इसके बाद ऑल इंडिया जमीतुल कुरैश की बैठक हुई। इस बैठक में फैसला किया गया कि मुस्लिम समाज के लोग न दहेज लेंगे और न ही देंगे। समाज में जागरूकता फैलाने के लिए परचे बांटने का फैसला लिया गया।

जमीतुल कुरैश के जिलाध्यक्ष मोहम्मद शरीफ ने कहा आयशा की मौत के बाद समाज को जागना चाहिए. ताकि जो आयशा के साथ हुआ वह किसी के साथ न हो।

नदी में कूदकर दी थी जान
गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली आयशा बानू मकरानी ने 25 फरवरी को साबरमती नदी में कूदकर जान दे दी थी. आत्महत्या से पहले आयशा ने एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया था. इस वीडियो में उसने अपने पति पर दहेज के लिए शोषण का आरोप लगाया था. वीडियो में आयशा ने कहा कि अगर वह (पति) मुझसे आजादी चाहता है तो उसे आजादी मिलनी चाहिए. मेरी जिंदगी बस यहीं तक. मैं खुश हूं कि अब अल्लाह से मिलूंगी.

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