नई दिल्ली/डिजिटल डेस्क। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 में हुए गुजरात दंगों (Gujarat Riot 2002) को लेकर बीबीसी ने एक डॉक्यूमेंट्री जारी की है. इसपर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. भारत से लेकर ब्रिटेन तक इस डॉक्यूमेंट्री के लिए बीबीसी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. इस पूरे विवाद में अब अमेरिका की भी एंट्री हो गई है.
अमेरिकी का कहना है कि वह बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से अवगत नहीं है, लेकिन वॉशिंगटन और नई दिल्ली को जोड़ने वाले साझा ‘लोकतांत्रिक मूल्यों’ से पूरी तरह से अवगत है. चलिए आपको इस विवाद से जुड़े 10 अहम अपडेट बताते हैं.
- डॉक्यूमेंट्री के इंटरनेट पर आते ही तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा और डेरेक ओ’ ब्रायन ने केंद्र पर निशाना साधते हुए गुजरात दंगों और पीएम मोदी पर आधारित बीबीसी के विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री का ‘लिंक’ टि्वटर पर शेयर किया. इसके बाद ट्विटर ने उनके ट्वीट को हटा दिया था.
- कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी इस विवाद पर टिप्पणी की. उन्होंने ट्वीट में लिखा, “भारत में कुछ लोग अभी भी औपनिवेशिक खुमार से उबर नहीं पाए हैं. वे लोग बीबीसी को भारत के सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मानते हैं और अपने नैतिक आकाओं को खुश करने के लिए देश की गरिमा और छवि को किसी भी हद तक गिरा देते हैं.”
- केंद्र सरकार की कड़ी आपत्ति के बावजूद केरल की सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की छात्र इकाई डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) ने कहा कि ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ राज्य में दिखाया जाएगा. डीवाईएफआई ने अपने फेसबुक पेज पर यह घोषणा की.
- दो दिन पहले, हैदराबाद यूनिवर्सिटी परिसर में भी विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई थी. इसके बाद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने पुलिस में शिकायत दी. इस मामले पर यूनिवर्सिटी ने कहा कि छात्रों ने केंद्र के आदेश के एक दिन बाद बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाई.
- दिल्ली के JNU कैंपस में भी स्क्रीनिंग के कार्यक्रम को लेकर पैंपलेट्स बांटे गए थे. छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने भी विवादित डॉक्यूमेंट्री का पोस्टर शेयर किया. आइशी का पोस्ट वायरल होने पर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने एक एडवाइजरी जारी की. इसके बाद यहां स्क्रीनिंग को रद्द कर दिया गया.