लखनऊ/डिजिटल डेस्क। पार्टी की ओर से कई प्रदेश महामंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश मंत्री को विधान परिषद में सदस्य बनाया गया है। वहीं कई पदाधिकारी विधायक और सांसद भी है। बीते दिनों हुई समीक्षा में सामने आया कि विधायक और सांसद बनने के बाद भी प्रदेश पदाधिकारी संगठनात्मक कार्यक्रमों के लिए कार्यालय से कार और ड्राइवर की सुविधा लेते हैं। भाजपा के ऐसे प्रदेश पदाधिकारी जो विधायक, एमएलसी और सांसद है उन्हें अब प्रदेश कार्यालय से वाहन सुविधा नहीं मिलेगी। उन्हें अपने निजी वाहन से ही संगठनात्मक कार्यक्रम में आना जाना होगा।
इतना ही नहीं राजधानी में भी अपने घर से कार्यालय आने जाने के लिए पार्टी दफ्तर से कार की सुविधा लेते है। शीर्ष स्तर पर इस पर नाराजगी जताते हुए वाहन व्यवस्था में बदलाव का निर्णय किया गया। नेतृत्व का मानना है कि विधायक एवं सांसद बनने के बाद पदाधिकारियों को यात्रा के कूपन या भत्ता मिलता है। वहीं सभी के पास अपना वाहन भी है।