दंगाइयों से मुकाबला कर मुस्लिमों ने बचाया गुरुकुल, कहा- जान दे देंगे पर आंच नहीं आने देंगे

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फिरोजपुर झिरका(नूंह)। मेवात के आपसी भाईचारे की यूं ही नहीं मिसाल दी जाती है। यहां जब भी कोई बड़ी घटना हुई तो हिंदू-मुसलमानों ने एक-दूसरे की मदद की है। 31 जुलाई की दोपहर जब दो सौ से अधिक मुस्लिम युवकों द्वारा नूंह के खेड़ला चौक पर हिंसक घटना को अंजाम दिया गया तो हिंसा पूरे जिले में होने लगी।

नूंह मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर मुस्लिम बहुसंख्यक गांव भादस में मुस्लिम समाज के लोग ही हिंदू समाज के लोगों के साथ कंधा जोड़कर दंगाइयों का मुकाबला करने लिए खड़े रहे।

200 दंगाई गुरुकुल पर हमले के लिए पहुंचे थे

गांव में बने गुरुकुल में करीब 200 युवक लाठी-डंडे से लैस होकर हमला करने के लिए पहुंचे थे। दो बजे जैसे ही उनके आने की जानकारी गांव के सरपंच शौकत तथा अन्य लोगों को मिली वह एकत्र होकर गुरुकुल के गेट पर खड़े हो गए।

दंगाइयों की ओर से उन्हें चेतावनी दी गई तो सभी ने यह कहते हुए हटने से मना किया जान जाने के बाद ही गुरुकुल में आंच आने देंगे। दंगाइयों ने बोतल में पेट्रोल भी ले रखा था। ग्रामीणों ने विरोध किया तो वह अपनी बाइकों से वापस चले गए।

जब तक नहीं आई पुलिस डटे रहे सरपंच और गांववाले

एक घंटे बाद फिर आए तो सरपंच और गांव के मुस्लिम तथा हिंदू परिवारों के युवा तथा बुजुर्ग लाठी-डंडे के साथ खड़े मिले तो वह फिर वापस चले गए। ग्रामीण सुरक्षा में रात तक जमे रहे जब अतिरिक्त पुलिस बल पहुंचा तो वह अपने घर गए।

ग्रामीणों के मुताबिक अराजकता फैलाने आए युवक चेहरे पर रुमाल बांधे थे और वह स्थानीय नहीं लग रहे थे। उनमें समीपवर्ती भरतपुर तथा अलवर जिला के युवक अधिक थे। दूसरी बार तो जब वह पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें खदेड़ लिया था। गांव से सरपंच के प्रयासों की प्रशंसा सभी जगह की जा रही है।

भादस गुरुकुल में पढ़ रहे हैं 30 बच्चे, सभी रहे भयभीत

भादस आर्य गुरुकुल में लगभग 30 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उपद्रवियों द्वारा गुरुकुल को घेरने के बाद गुरुकुल के आचार्य तरुण आर्य एवं सभी बच्चे एक बार तो भयभीत हो गए थे। लेकिन जब गांव के मुस्लिम एवं हिंदू दोनों समुदाय के व्यक्ति गुरुकुल बचाने आए तो इन्होंने अपने आप को सुरक्षित महसूस किया।

धार्मिक यात्रा यहां भी आने वाली थी तो गुरुकुल की ओर से स्वागत की तैयारी भी गई थी। लेकिन नूंह हुए बवाल के बाद स्वागत कार्यक्रम रद कर दिया गया। बच्चों को पीछे के सुरक्षित स्थान पर रखा गया था।

हमले में नहीं सफल हुए तो शक्ति की ले ली जान

नूंह में हुई हिंसा में मरने वालों में इसी गांव के शक्ति सैनी का भी नाम है। शक्ति की गांव आते हुए दंगाइयों ने सिर तथा गले में चोट कर हत्या कर दी थी। शव मिलने पर पूरे गांव में मातम छा गया। शक्ति के स्वजन का आरोप है कि शक्ति को दंगाइयों ने ही लौटते वक्त मारा है। सरपंच ने कहा कि शक्ति की हत्या किसने की पुलिस जांच करेगी लेकिन पंचायत मामले की पूरी पैरवी करेगी। गांव के लाल को छीनने वालों को सजा दिला कर रहेंगे।

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