आर्थिक संकट से जूझ रहे आधुनिकरण मदरसा शिक्षक, 57 महीनों से नहीं मिला मानदेय

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आर.पी.पी.न्यूज़:

जिला संवाददाता नूर मोहम्मद

उपेक्षा के शिकार हो रहे मदरसा आधुनिकरण शिक्षक, बढ़ती मंहगाई से माथे पर खींची चिंता की लकीरें

महराजगंज। मदरसा शिक्षकों का 57 महीनों का नहीं मिला मानदेय भुखमरी के कगार पर आधुनिक शिक्षक। मदरसों में गुणवत्तापूर्ण आधुनिक शिक्षा प्रदान कराने की योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षकों को नियुक्त किया गया था। पिछले 57 महीनों से अधिक हो गये लेकिन मदरसा शिक्षकों का मानदेय नहीं मिलने के कारण शिक्षक आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। सरकार से नाराज़ आधुनिक शिक्षकों का कहना है कि भाजपा सरकार का नारा “सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास” है। लेकिन फिर भी मदरसा शिक्षकों को उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है जो समझ से परे है पिछले पांच वर्षों से शिक्षकों को सिर्फ “आश्वासन” ही मिल रहा है।

शिक्षकों के हालात बद् से बद्तर होते जा रहे है। “मदरसा शिक्षकों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है। मानदेय नहीं मिलने की वजह से मदरसा शिक्षक भुखमरी की कगार पर हैं। मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कराने की योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षकों को नियुक्त किया गया था। इस योजना को शुरू करने का उद्देश्य “मदरसे और मकतब” जैसे “पारंपरिक संस्थानों” को प्रोत्साहित करना और उनके पाठ्यक्रमों में विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी जैसे विषयों को शामिल करना है। शिक्षकों का कहना है कि “उनको वित्त वर्ष 2017-2018 से केंद्र सरकार द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है”। आधुनिक शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि इस योजना में पंजीकृत प्रत्येक मदरसे में सभी शिक्षक वर्ग के शिक्षक पढ़ाते हैं। जनपद के आधुनिक शिक्षक संगठन के जिलाध्यक्ष तसौव्वर हुसैन ने बताया कि छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक 22 से 25 किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मानदेय नहीं मिला है। परिवार को चलाना बच्चों की परवरिश जैसी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अजय दुबे, मोहम्मद रफीक, अख्तर हुसैन, वसी अहमद, ज़ुबैर, कमालु, नागेंद्र गौंड़, सरफुद्दीन सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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