लखनऊ। एक प्रसिद्ध समाचार पत्र के वरिष्ठ संपादक तथा प्रजातंत्र की आशा नामक पत्रिका के मैनेजर राजन पटेल ने सीएम योगी को पत्र लिखकर प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा क़ानून बनाने की मांग की है. राजन पटेल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रदेश में लगातार पत्रकारों पर हो रहे हमले और फर्जी मुकदमे में पुलिस और प्रशासन द्वारा फंसाये की जाने की खबरें मिल रहीं हैं. अधिकतर संवाददाताओं को समाचार कवरेज के दौरान या पुलिस प्रशासन से किसी मामले की जानकारी लेने के समय अभद्रता किया जा रहा है. कुछ कथित तथा भ्रष्ट पत्रकारों की गलतियों को ईमानदार पत्रकारों को भुगतना पड़ रहा है. देश का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला पत्रकार आज अपमानित होकर लोकतंत्र की रक्षा करने को मजबूर है. कहीं पत्रकारों को मारा पीटा जा रहा है तो कहीं पत्ररकारों को गाली देकर अपमानित किया जा रहा है। कई ऐसे मामलों में देखा गया है कि एक पत्रकार जब जनता का आवाज़ बनकर नौकरशाहों से जब सवाल जवाब करता है तो उसे भी सिस्टम में बैठें लोग अपने भ्रष्टाचार के गिरफ्त में ले लेतें हैं उसके ऊपर फर्ज़ी मुकदमा लिखवाया जाता है या तो उसे जान से मार दिया जाता है. समाज मे हजारों पत्रकार ऐसे हैं जो बिना वेतन लिए समाज के हित के लिए दिन रात अपनी लेखनी से प्रशासन के भ्रष्ट लोगों की पोल खोल रहें हैं. देश में सैनिक के बाद से कोई राष्ट्र का सेवा करता है तो वो है पत्रकार. जो बिना अपने जान माल का परवाह करते हुए देश के अंदर बैठे भ्रष्टाचारियों से देश को बचाता है और सच्चाई देश के सामने रखता है. लेकिन पत्रकारों को सुरक्षा के नाम पर चाहे वर्तमान की केंद्र और प्रदेश की सरकार हो या पहले की. किसी ने भी पत्रकारों के हित के लिए कार्य नही किया और न ही कोई कानून बनाया. भारत विश्व मे पत्रकारों के सुरक्षा मामले में बहुत नीचे के पायदान पर है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि दिन रात संविधान और जनता की सेवा करने वाले पत्ररकारों के हित के लिए संसद में कानून बनाकर सुरक्षा किया जाये और बिना वेतन भोगी पत्ररकारों की लिस्ट बनाकर उन्हें आर्थिक सहयोग भी दिया जाये. तभी लोकतंत्र को बचाया जा सकता है. अन्यथा सिस्टम में बैठे लोग और प्रशासनिक गुंडे इसी तरह लोकतंत्र और संविधान की धज्जियां उड़ाते नज़र आयेंगे और जनता की आवाज़ तानाशाही द्वारा दबा दिया जायेगा। वरिष्ठ संपादक राजन पटेल ने बताया कि अगर प्रदेश सरकार पत्ररकारों की सुरक्षा के लिए जल्द ही कोई कदम नही उठाया और फर्ज़ी मुकदमे फंसाये गये पत्रकार भाईयों को नहीं बचाया तो हम 5 दिन का अख़बारी कार्य बंद कर आंदोलन करेंगे और सभी पत्रकारों को एक मंच पर इकठ्ठा कर सरकार का घेराव करेंगे. जरूरत पड़ी तो पत्रकारों की सुरक्षा का मांग करते हुए भूख हड़ताल भी करेंगे। राजन पटेल ने कहा कि शारीरिक हमलों, डराने की कोशिश, उत्पीड़न, इंटरनेट पर डराना, कोविड संक्रमण, गिरफ्तारी, नजरबंदी, रिपोर्टिंग पर सरकारी प्रतिबंध आदि रुकावटें व खतरें एक मीडिया कर्मी के लिए बहुत बड़ी परेशानी है। एक मीडिया कर्मी 24 घण्टे 7 दिन निस्वार्थ भाव से देश का सेवा करता है।
