आर.पी.पी न्यूज़/डिजिटल डेस्क। चीन की मीडिया और सोशल मीडिया से आ रही खबरें बताती हैं कि चीन कोरोना के सामने पस्त पड़ गया है। उसके अस्पतालों में कोरोना संक्रमित लोगों को भर्ती करने की जगह नहीं बची है और शवदाह करने के लिए भी लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। यह तस्वीर बहुत कुछ वैसी है, जैसी हमने कोरोना की तीसरी लहर के दौरान अपने देश में देखी थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की कठोर ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ उस पर भारी पड़ी और उसी के कारण आज चीन में यह तबाही देखने को मिल रही है। यदि उसने इस पर सॉफ्ट पॉलिसी अपनाई होती, तो आज वह भी कोरोना के बड़े खतरे से दूर हो चुका होता।
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा कि इस बार संक्रमण के भारत पहुंचने पर भी हमारे सामने उसका ज्यादा बड़ा खतरा नहीं है। इसका बड़ा कारण है कि हमारे देश में कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर में ही कोरोना पर्याप्त रूप से फैल गया और लोग इससे संक्रमित हो गए। इससे कोरोना से लड़ते हुए देश की बड़ी आबादी में हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो चुकी है। यदि कोरोना की नई लहर भारत में आती है तो यही हर्ड इम्यूनिटी हमें नए खतरे से लड़ने में सहायक होगी।
जबकि, चीन ने कोविड को लेकर बहुत कठोर नीति अपनाई। कोरोना के एक भी केस आने पर पूरे संस्थान को बंद करने से चीन में लोगों के बीच संक्रमण ज्यादा नहीं फैला। इससे वहां के लोगों के बीच हर्ड इम्यूनिटी नहीं विकसित हो पाई। इसी का परिणाम है कि अब चीन में कोरोना तबाही मचा रहा है। लेकिन एक बार ज्यादा संख्या में लोगों के संक्रमित हो जाने पर यह खतरा धीरे-धीरे कम होना शुरू होगा और एक निश्चित स्तर पर आकर ठहर जाएगा।
शायद अपनी गलती से सीख लेते हुए, और आर्थिक मंदी से बचने के लिए, चीन ने इस बार अपनी नीति में बदलाव किया है। अपुष्ट खबरें बता रही हैं कि चीन ने लोगों को कोरोना संकमित होने के बाद भी अपने काम पर आने का आदेश दिया है। यदि ऐसा है तो इसका यही अर्थ है कि चीन अब अपनी गलती से सीख लेते हुए संक्रमण को धीरे-धीरे फैलने देना चाहता है, जिससे वहां के लोगों के बीच हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो सके।