कुनबे की छीनी रोटी, चंद ईंटों ने ले ली रामनिवास की जान

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शिकारपुर : इसे नियति का खेल कहें या कुनबे की बदनसीबी। खुले में शौच जाने से मुक्ति हेतु अपनी हाड़तोड़ मेहनत से दिन-रात एक कर शौचालय के टंकी निर्माण हेतु आठ फुट गहरा गड्ढा खोदकर अगले दिन पक्की चुनाई कराने के सपने सजोने वाले रामनिवास गिरी एवं उनके कुनबे के लिए मंगलवार का दिन तब बेहद खौंफनाक व काला मंगलवार बन गया। जब कुनबे के एकमात्र कमाऊ व्यक्ति व मुखिया 50 वर्षीय रामनिवास गिरी की गड्ढे में दिख रहे महज चंद ईंटों को निकालने के प्रयास के दौरान किनारे पड़ी मिट्टी के बड़े भाग के अड़ार रूप में टूट कर उनके ऊपर गिरने और उसमें दब कर दम घुटने के कारण जान चली गई।स्वजनों के चीख पुकार को सुनकर पड़ोसियों ने युद्धस्तर पर मिट्टी हटा रेस्क्यू कर बचाने का हरसंभव प्रयास किया परंतु तब तक काफी देर हो चुकी थी और उसके पहले ही उनकी सांसे थम चुकी थीं।इस भयावह व वीभत्स घटना को देख पत्नी सुशीला बेसुध हो गई और दोनों बेटे रजनीश व मनीष का कलेजा मुंह को आ गया तथा घुटनों के बल शव के समीप बैठ दहाड़ मार कर रोने लगे ।गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे रामनिवास अपने घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे जो कृषि के साथ -साथ दिहाड़ी मजदूरी करके अपने बीबी व बच्चों हेतु दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते थे।उनके मृत्यु के बाद अब कुनबे के समक्ष रोजी व रोटी दोनों का संकट खड़ा हो गया है तथा बच्चों की पढ़ाई भी अधूरी रह जाएगी।पत्नी सुशीला का सुहाग उजड़ गया और उनके ऊपर विपत्तियों का पहाड़ टूट गया है । बच्चों के सिर से पिता का साया छिन गया है।इस घटना के बाद गांव में कोहराम मच गया है ।स्वजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।कई घरों में चूल्हे तक नहीं जले हैं।सभी लोग विधाता को इस कृत्य के लिए कोस रहे हैं।

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